Thursday, Mar 30, 2023
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Going to the margins of Hurriyat leader Gilani is no less than victory of Kashmiri people ALBSNT

हुर्रियत नेता गिलानी के हाशिये पर जाना कश्मीरी अवाम की जीत से कम नहीं

  • Updated on 7/1/2020

नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में फिजा बदल चुकी है। तो इसका श्रेय निश्चित रुप से मौजूदा केंद्र सरकार को दिया जाना चाहिये। इस बीच कश्मीर से बड़ी खबरें आ रही है जो इस बात का भी संकेत करता है कि घाटी में हालात कितने बदल गए है। कभी पाकिस्तान के एक इशारे पर नाचने के लिये तैयार बैठे ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान का भी उनसे मोहभंग होने के बाद गिलानी ने यह कदम उठाया है।

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कभी पाकिस्तान के धुन पर नाचते थे गिलानी जैसे नेता

दरअसल गिलानी के इस इस्तीेफे के बाद अब .यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान के धुन पर कश्मीर में जो भारत विरोधी हरकत को अंजाम नहीं देगा,उसका हस्य उनके जैसा होना तय है। आपको बताना जरुरी है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था। बीते साल 5 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बयान देते हुए कहा था कि अब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का समय आ गया है। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने का निर्णय भी लिया गया। उधर कश्मीर के मुख्यधारा की राजनीति करने वाले दलों के प्रमुखों के साथ-साथ सभी अलगाववादी नेताओं को भी नजरबंद कर लिया गया।

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बीते साल 5 अगस्त के बाद बदली फिजा

सैयद अली शाह गिलानी जैसे नेताओं के लिये अब 5 अगस्त 2019 के बाद हालात सामान्य नहीं रहें। कभी पाकिस्तान के एक ईशारे पर भारत विरोधी आंदोलन से लेकर पत्थरबाजी के लिये हजारों युवाओं को भटका कर एकत्रित करना गिलानी जैसे नेताओं के लिये मुश्किल नहीं रहा। गिलानी ताउम्र भारत के खिलाफ इसलिये आग उगलते रहे ताकि पाकिस्तान से मोटी रकम ऐंठते रहें। अपने आधिकारिक बयान में गिलानी हमेशा से कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानकर पाकिस्तान में बैठे आकाओं को ही खुश करते नजर आए।

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लंबे अर्से के बाद कसा आतंक पर नकेल

लेकिन बदले हुए हालात में कश्मीर में न तो पत्थरबाजी का मौका मिल रहा और न कश्मीरी युवाओं को भटकाकर भारत विरोधी आंदोलन ही चलाने में सक्षम रहें। जिसके बाद पाकिस्तान गिलानी के पर काटने में जुट गए। लेकिन गिलानी के इस तरह बेबस होकर इस्तीफे देने के बाद साफ हो गया है कि पाकिस्तान के लिये गिलानी मात्र एक प्यादा की तरह थे। लेकिन यह समझने में गिलानी ने पूरी उम्र गुजार दी। हालांकि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिये निश्चित रुप से  गिलानी के हाशिये पर जाना एक सबक है। जिससे सीख लेकर पाकिस्तान के झांसे में न आकर अपने देश और अपनी माटी के खिलाफ बंदूक उठाने की साजिश से दूर रह सकें। शायद यहीं गिलानी के हालात से सीखा जा सकता है।   



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