नई दिल्ली/टीम डिजिटल । महाराष्ट्र में चल रहा सियासी ड्रामा शीर्ष अदालत के रास्ते अब विधानसभा के फ्लोर तक पहुंचता दिख रहा है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस पर 11 जुलाई तक किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगाने के साथ ही बहुमत परीक्षण (फ्लोर टेस्ट) नहीं कराने संंबंधी सरकार के अनुरोध पर अंतरिम आदेश पारित करने से मना कर दिया। वहीं, बागियों को जारी अयोग्यता नोटिस की वैधानिकता को लेकर विधानसभा उपाध्यक्ष और विधानसभा सचिवालय से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को शिवसेना के 39 बागी विधायकों और उनके परिवार के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा करने का निर्देश भी दिया। महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें बागी विधायकों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को हलफनामा रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील के उस बयान को भी रिकॉर्ड में लिया जिसमें कहा गया है कि बागी विधायकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। न्यायालय ने प्रदेश सरकार की ओर से फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के अनुरोध पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार करते हुए कहा कि वह किसी भी अवैध कदम के खिलाफ उसका रुख कर सकते हैं।
बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने न्यायालय द्वारा उन्हें और अन्य बागी शिवसेना विधायकों को मिली राहत को बाल ठाकरे के हिंदुत्व और अपने गुरु आनंद दिघे के आदर्शों की जीत बताई। एक ट्विट में शिंदे ने कहा कि यह ङ्क्षहदू हृदयसम्राट बालासाहेब के ङ्क्षहदुत्व और (दिवंगत) धर्मवीर आनंद दिघे के आदर्शों की जीत है। वहीं, ठाणे में शिंदे के बेटे और पार्टी सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने दबाव में उनके पिता और 15 अन्य बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजा था, जो उच्चतम न्यायालय के आदेश से स्पष्ट हो चुका है। उन्हें इसका अधिकार नहीं है।
इससे पहले बागी विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन के कौल ने पीठ को बताया कि शिवसेना विधायक दल का उद्धव ठाकरे समूह अल्पमत में है और राज्य की व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। कौल ने कहा कि मुंबई में शिंदे गुट के विधायकों के लिए माहौल अनुकूल नहीं है क्योंकि उन्हें धमकी दी गई है।
उच्चतम न्यायालय के ताजा आदेश के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही यह मामला विधानसभा के फ्लोर पर पहुंच सकता है। शिवसेना का बागी गुट अपने साथ दल के 39 विधायकों समेत 9 निर्दलीय एवं अन्य का समर्थन होने का दावा करते हुए राज्य की शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार को अल्पमत में होने की बात कह रहा है।
हालांकि इन हालातों के लिए शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन भी खुद को तैयार बता रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने नई दिल्ली में मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ एकजुटता दर्शाते हुए कहा कि शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस का एमवीए गठबंधन एकजुट है, चाहे वह सरकार में रहे या विपक्ष में। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी से केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर भाजपा महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट को हवा दे रही है।
छोटे दलों के संपर्क में भाजपा फ्लोर टेस्ट रोकने के संबंध में किसी भी तरह का अंतरिम आदेश पारित करने से न्यायालय के इनकार के बाद भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में ताजा सियासी हालात पर चर्चा हुई है।
बताया जा रहा है कि भाजपा सीधे तौर पर नहीं, लेकिन किसी छोटे दल के माध्यम से सरकार के फ्लोर टेस्ट की मांग करवा सकती है। सूत्र बताते हैं कि बागी गुट के कुछ नेता मनसे प्रमुख राज ठाकरे के भी संपर्क में हैं। कहा जा रहा है कि अगर गुट के विलय की बात आई तो शिवसेना के बागी मनसे की राह पकड़ सकते हैं।
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