नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सांसद रमेश बिधूड़ी वरिष्ठता और संगठन के कार्य करने की क्षमता के मामले में कई अन्य से बेहतर माने जाते हैं। खुद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी इस बात को स्वीकारता है। लेकिन बिना विचारे कुछ भी बोल देने और बयान में अपनाई जाने वाली भाषा से उन्हें कई बार नुकसान उठाना पड़ा है। पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के साथ भरी सभा में अपने बयान के कारण हाथा- पाई तक की नौबत जगजाहिर है।
-2015 में लोकसभा में कांग्रेस की महिला सांसद रंजीता रंजन ने उनके बेटे को लेकर की गई रमेश बिधूड़ी की टिप्पणी पर लोकसभा स्पीकर को लिखित शिकायत की थी
- एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले, कांग्रेस की सुष्मिता देव ने अन्य महिला सांसदों के साथ मिलकर भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ अमर्यादित भाषा के प्रयोग की शिकायत की थी
-2016 में सीएम अरविंद केजरीवाल पर सांसद रमेश बिधूड़ी ने अपशब्दों का प्रयोग सार्वजनिक मंच से किया
-2017 में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी पर बाहरी होने की बात कहने की वजह से भी सांसद रमेश बिधूड़ी सवालों के घेरे में आए थे
-2019 में सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग ने सांसद रमेश बिधूड़ी को नसीहत दी थी
-2018 में उन पर अपनी ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और कार्यकर्ताओं ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने की शिकायत शीर्ष नेतृत्व के समक्ष की थी
रमेश बिधूड़ी दिल्ली भाजपा सांसद
बिधूड़ी का जन्म 18 जुलाई 1961 में दक्षिणी दिल्ली में हुआ।
बिधूड़ी और उनके परिवार के सदस्य बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय सदस्य रहे हैं।
बिधूड़ी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की।
छात्र नेता के रूप में उन्होंने 1983 से एबीवीपी के लिए काम किया।
बिधूड़ी ने बी.कॉम में स्नातक और एलएलबी की पढ़ाई की है।
1993 से उन्होंने कई धार्मि और राजनीतिक संगठनों में प्रतिष्ठित पदों पर रहते हुए राजनीति में सक्रिय रूप से काम किया है।
उन्होंने वर्ष 1996 में महरौली जिले के जिला महासचिव के रूप में काम किया और महासंघ की धर्म यात्रा के प्रदेश सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1997 से 2003 तक भाजपा के जिला अध्यक्ष के रूप में काम किया।
उन्होंने 2003 से 2008 तक भाजपा दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
इसके बाद 2008 में वह भाजपा दिल्ली प्रदेश के महासचिव बने।
वह वर्ष 2003 से मई 2014 तक दिल्ली विधानसभा के सदस्य (विधायक) रहे।
वर्ष 2014 और 2019 में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
वह शहरी विकास संबंधी स्थायी समिति और पिछड़े वर्गों के कल्याण संबंधी समिति के सदस्य रहे हैं।
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