Thursday, Jun 01, 2023
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Tourists are happy to see painted storks in Delhi zoo

पेंटेड स्टॉर्क को दिल्ली चिडिय़ाघर में देखकर खुश हो रहे हैं पर्यटक

  • Updated on 9/6/2022

नई दिल्ली। अनामिका सिंह। शांत स्वभाव और एक ही पोजीशन में घंटों तक पानी में एक पैर उठाए खड़े रहने के लिए मशहूर हैं पेंटेड स्टॉर्क (चित्रित सारस) आजकल राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिडिय़ाघर) में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मालूम हो कि ये हिमालयन रेंज के पक्षी है। जोकि हर साल अगस्त में हिमालय रेंज में ठंड अधिक पडऩे पर मैदानी इलाकों की ओर पलायन करने लगते हैं। दिल्ली चिडिय़ाघर में इस बार पेंटेड स्टॉर्क अगस्त के मध्य में ही आ चुके हैं। इन्होंने चिडिय़ाघर के तालाब के आस-पास वृक्षों पर अपने घोंसलों का निर्माण किया है। खासकर इन्हें देखने के लिए चिडिय़ाघर में रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
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करीब 200 पेंटेड स्टॉर्क ने बनाया चिडिय़ाघर में बसेरा
चिडिय़ाघर प्रशासन के लिए इस बार सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि बीते कई सालों की तुलना में इस साल पेंटेड स्टॉर्क की संख्या में इजाफा हुआ है। जहां हर साल 200-300 के करीब पेंटेड स्टॉर्क चिडिय़ाघर आते थे, वहीं इस साल उनकी संख्या बढ़कर 400 के करीब जा पहुंची है। यानि करीब 200 से अधिक जोड़े पेंटेड स्टॉर्क इस समय चिडिय़ाघर में प्रवास कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा पेंटेड स्टॉर्क के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की गई है, इन्हें खाने में मछलियां दी जा रही हैं। हालांकि ये छोटी मछलियों के अलावा मेंढक, कीड़े-मकौड़े व अन्य जलीय जीवों को भी खाते हैं। ये अगस्त से लेकर मार्च-अप्रैल तक यही रहेंगे और जब हिमालयन रेंज में गर्मी की शुरूआत होगी तो दोबारा मैदानी इलाकों से पलायन कर अपने मूल निवास स्थान पर चले जाएंगे। मजे की बात यह है कि जब ये हिमालय से पलायन कर दिल्ली व अन्य मैदानी इलाकों में पहुंचते हैं तो इनके पीछे-पीछे अन्य कई हिमालयन रेंज के पक्षी जैसे वूलीनेक्ड स्टॉर्क, आइबिश, ग्रे हैरोन भी चले आते हैं और वापसी की बजाय दिल्ली के हरित इलाकों को अपना घर बना लेते हैं। यही नहीं कई पेंटेड स्टॉर्क भी यमुना के किनारे रह जाते हैं। कई बार ऐसा भी देखने को मिला है जब पेंटेड स्टॉर्क अपने अंडे दिल्ली में यमुना नदी के किनारे व चिडिय़ाघर में बने अपने घोंसलों में देकर पलायन कर गए थे। 
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इनसे नहीं फैलता वायरस
पेंटेड स्टॉर्क एक ऐसा जलीय पक्षी है जो तालाब के आस-पास रहता है। ये चिडिय़ाघर में अन्य जानवरों के बाड़ों के पास जाना भी पसंद नहीं करते हैं। इनसे चिडिय़ाघर के किसी भी पशु-पक्षी व अन्य वन्यजीवों को वायरस फैलने संबंधी किसी भी प्रकार का खतरा नहीं रहता है। ये अपने परिवार के साथ पानी के नजदीक ही रहना ज्यादा पसंद करते हैं। जोकि बारिश के मौसम से सर्दियों के मौसम बीतने तक मैदानी इलाकों में रहते हैं। 

सारस फैमिली की सबसे बड़ी चिडिय़ा
पेंटेड स्टॉर्क को सारस फैमिली की सबसे बड़ी चिडिय़ा कहा जाता है जोकि हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इनकी बनावट व रंग सहित चहचहाहट लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। ये गुलाबी, सफेद व नारंगी छरहरी काया वाले होते हैं, ऐसा लगता है मानो किसी पेंटर ने अपने ब्रश से बड़े सुंदर तरीके से इन्हें बनाया हो। लंबी और पतली टांग, नुकीली लंबी चोंच उसे दूसरे पक्षियों से अलग करती है। इस बड़े सारस की पीली चोंच नीचे की ओर मुड़े सिरे वाली होती है। वयस्क पेंटेड स्टॉर्क का सिर नारंगी या लाल रंग का होता है। 
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समझदारी में नहीं होते किसी से कम
पेंटेड स्टॉर्क समझदारी के मामले में भी कई गुना आगे होते हैं। ये जहां अपना घोंसला बनाते हैं उसके आस-पास की हरियाली को बचाते भी हैं। अपने घोसलें को ये तिनके से बनाते हैं। जोकि उसी पेड की शाखा पर बनता है जहां वो बैठते हैं। तिनके ये आस-पास की शाखाओं से बटोरते हैं। खासकर कीकर के पेड़ इनके घोंसलों को बनाने के लिए उपयुक्त होता है। इन घोंसलों में ये अपने अंडों को देते हैं। 

5-10 के समूह में बनाते हैं कॉलोनी
एकता में बल को बताते पेंटेड स्टॉर्क हमेशा 5-10 के समूह में कॉलोनी बनाकर रहते हैं और हरेक काम में एक-दूसरे की मदद लेते व देते हैं। एक घोसले में मादा पेंटेड स्टॉर्क 3 से 5 तक अंडे देती है। इनका वैज्ञानिक नाम माइकटेरिया ल्यूकोसिफाला होता है। यह पक्षी भारत के अलावा चीन, श्रीलंका व दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भी पाए जाते हैं। 

एक जैसे दिखते हैं नर-मादा
पेंटेड स्टॉर्क में नर और मादा लगभग एक जैसे दिखते हैं लेकिन जोड़े में नर आमतौर पर मादा से आकार में बड़ा होता है। ये सभी मौसमों में मीठे पानी की आद्र्रभूमि पसंद करते हैं लेकिन सिंचाई नहरों और फसल के खेतों के आस-पास भी रहते हैं, खासकर बाढ़ वाले इलाकों में चावल के खेतों के नजदीक। ये प्रजनन हमेशा बड़े पेड़ों पर ऊपर की ओर घोसला बनाकर करते हैं। इनमें नर औश्र मादा कई बार संभोग करते हैं और साथ ही अपने बच्चों को पालते हैं। 
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8-9 महीने रहते हैं पेंटेड स्टॉर्क चिडिय़ाघर के मेहमान : धर्मदेव राय
दिल्ली चिडिय़ाघर के डायरेक्टर धर्मदेव राय ने बताया कि इस बार चिडिय़ाघर के तालाब में 400 से अधिक तकरीब 200 जोड़ों में पेंटेड स्टॉर्क आए हैं। ये तकरीबन 8-9 महीने तक दिल्ली चिडिय़ाघर के मेहमान रहेंगे। हिमालयन रेंज के इन पक्षियों के आगमन के लिए चिडिय़ाघर प्रशासन द्वारा हरेक प्रकार की तैयारियां की गई हैं। इनके घोंसले व चहचहाहट आजकल चिडिय़ाघर का प्रमुख आकर्षण बन गया है। पेंटेड स्टॉर्क हालांकि मार्च-अप्रैल में वापस हिमालय की ओर पलायन कर लेते हैं लेकिन कई दिल्ली चिडिय़ाघर के तालाब को ही अपना बसेरा बना लेते हैं क्योंकि उन्हें यहां सुरक्षा व भोजन दोनों मिलता है। इस साल हमारा अनुमान है कि जब वो चिडिय़ाघर से पलायन करेंगे तो उनकी संख्या करीब 700 होगी। लगातार इनकी संख्या बढऩे से पूरा पर्यटक ही नहीं प्रशासन भी बेहद खुश है। 


 

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