नरेन्द्रनगर/ ब्यूरो। विश्व प्रसिद्ध भगवान बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट 18 मई मंगलवार प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगे। तेल कलश (गाडू घड़ा) यात्रा तिथि 29 अप्रैल है। बसंत पंचमी के अवसर पर नरेन्द्रनगर राजदरवार में आयोजित समारोह में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई।
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टिहरी नरेश और महारानी की मौजूदगी में तिथि घोषित टिहरी नरेश और महारानी की मौजूदगी में नरेंद्रनगर राजदरबार में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने और महाभिषेक के लिए तिलों का तेल निकालने की तिथि घोषित की गई। मां सरस्वती के प्रकटोत्सव का त्योहार वसंत पंचमी आज मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस पर्व पर रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग होने से पर्व का महत्व और अधिक बढ़ रहा है। वसंत पंचमी के अबूझ मुहूर्त को देखते हुए ही प्राचीनकाल से भू-वैकुंठ यानी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि का निर्धारण की परंपरा आज भी कायम है।
काफी शुभ माना जाता आज का दिन पुरातन काल से इस दिन नए साल के पंचांग का पूजन कर टिहरी महाराजा को भेंट किया जाता है। ज्योतिषी पंचांग देखकर आज नरेंद्रनगर में भगवान बदरीविशाल के कपाट खोलने की तिथि निकाली जाती है। धाम के धर्माधिकारी आचार्य भुवनचंद्र उनियाल और टिहरी राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल का कहना है कि वसंत पंचमी देवी सरस्वती का जन्म दिन होने के कारण बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन की शुभता को देखते हुए ही भगवान बदरीनाथ के कपाट खोलने की तिथि तय की जाती है।
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वहीं दूसरी ओर बसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व आज पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था। आज के दिन लोग सपरिवार पूरे विधी-विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं और मां से आशिर्वाद प्राप्त करते हैं।
माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की उपासना करने से विद्या और वाणी का वरदान प्राप्त होता है। जिसमें मंत्रों को विशेष महत्व है। इस पूजा में कुछ मंत्र ऐसे हैं जिसके जाप से देवी प्रसन्न होती है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से देवी सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और शिक्षा संबंधी कार्यों में सफलता मिलती है। वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के मंदिर या घर पर विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है।
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