नई दिल्ली/टीम डिजिटल। एशिया के सबसे अरबपति व्यक्ति और करोड़ों लोगों के आदर्श रहे अलीबाबा समूह (Alibaba Group) के संस्थापक जैक मा पिछले 2 महीने से लापता है। उनके लापता होने के पीछे चीनी सरकार का हाथ बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि चीनी सरकार जैक माा की दौलत को छीनना चाहती है। इसलिए वह ऐसा कर रही है। ताकि जैक मा को कंट्रोल में लाया जा सके।
एक अमेरिकी अखबार ने हाल में अपने लेख में दावा किया है कि चीनी सरकार ने जैक मा से उनके उपभोक्ताओं का डेटा मांगा था। जिसे देने से जैक मा (jack Ma) ने मना कर दिया था। उसके बाद से चीन सरकार जैक मा के पीछे पड़ गई। चीन सरकार जैक मा को खुद के लिए खतरा मान रही है। वह चाहती है कि जैक मा उसे सारा डेटा दें दे। मगर जैक मा इस डेटा को दौलत मानते हैं। इसलिए वह लगातार इसका विरोध करते रहे हैं।
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चीन सरकार ने कराए गायब हाल में चीनी वित्तीय अधिकारियों ने जैक मा और उनकी कंपनियों पर नियम तोड़न का आरोप लगाया था। जैक मा के एंट ग्रुप को लेकर कहा था कि वह लोगों को पर्सनल डेटा का गलत फायदा उठा रहे हैं। जैक मा अलीपे एप के जरिए लोगों को लोन दिलाते हैं। जिससे उनको कमीशन मिलता है। सरकार कहती है कि उनके पास लोगो की उधार लेने की प्रवृत्ति, उनकी आदतों और लोन चुकाने का पूरा डेटा जैक मा के पास होता है। जिसका फायदा वह उठाते हैं।
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चीन सरकार की आलोचना की थी वह कहते हैं कि जैक मा के इस तरह पैसा कमाने से देश में वित्तीय सिस्टम खराब हो रहा है। वह इसका गलत फायदा उठा रहे हैं। चीन सरकार का लक्ष्य है कि वह इस तरह के बिजनेस मॉडल को तोड़े और देश में एकरुपता लाए। मगर जैक मा ने उन्हें यह डेटा देने से मना कर दिया था। जिसके बाद उनके खिलाफ कार्यवाही की गई थी।
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जैक मा के पास नहीं थे ऑपशन बताया जा रहा है कि जैक मा की कंपनी अलीबाबा के खिलाफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आदेश के बाद ही कार्यवाही हुई है। जैक मा के पास ज्यादा ऑपशन नहीं बचे थे। कम्युनिस्ट सरकार उन्हें खुद के लिए खतरा मान रही थी। हाल में चीन सरकार ने उनके बैंकिग आईपीओ को भी निलंबित कर दिया था। जिसके उनको भारी नुकसान हुआ था।
हाल में जैक मा ने चीन सरकार के वित्तीय सिस्टम पर भी सवाल उठाए थे। इसके अलावा जैक मा ने दुनियाभर की वित्तीय संस्थाओं को बुजुर्गों का समूह कहा था। चीन सरकार ने इस खुद पर हमला समझा था और उसके बाद उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था।
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