नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पेटा ने अमेरिका के कोर्ट में एक बंदर के साथ इंसाफ करने की अपील की थी। यह अपील बंदर नारुटो के लिए की गई है जिसकी सेल्फी दुनियाभर में मशहूर हो गई थी। सेल्फी मशहूर होते ही उसके लिए एक अनोखा केस भी दर्ज किया गया। नारुटो एक 6 वर्षीय बंदर है जो इंडोनेशिया के जंगलों में रहता है। उसने 2011 में एक कैमरे से अपनी कुछ तस्वीरें ली थीं।
दरअसल, 2011 में फोटोग्राफर डेविड जे स्लेटर इंडोनेशिया के जंगल में थे। जहां उन्होंने अपना कैमरे बिना निगरानी के छोड़ दिया था। इसी का फायदा उठा कर कैमरा दिखते ही नारुटो ने अपनी कुछ तस्वीरें ले लीं। अब स्लेटर और उनकी कंपनी उन तस्वीरों की कॉपिराईट की मांग कर रहें थे।
उन्होंने नारुटो की फोटो भी प्रकाशित की थीं। पेटा का दावा था कि स्लेटर ने ऐसा करके नारुटो के कॉपीराईट हक का उल्लंघन किया था। निराशाजनक यह था कि एक फेडेरल जज ने एक बार पहले इस केस को यह कह कर खारिज कर दिया था कि एक गैर-इंसान जानवर किसी कॉपीराईट का मालिक नहीं हो सकता।
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हालांकि पेटा ने एक बार फिर अपील की थी कि हर तरह से नारुटो ही उस फोटो का मालिक है। अपील मे उन्होंने कहा कि यदि स्लेटर के कैमरे से कोई और इंसान उस फोटो को खिंचता तो भी उन फोटो का कॉपीराईट उस दूसरे व्यक्ति को दिया जाता है । अपील में लिखा कि कॉपीराईट एक्ट में कहीं भी नहीं लिखा की वो सिर्फ इंसानों के लिए है। इसमें इंसानियत नहीं काम देखना चाहिए।
पेटा का कहना था कि यदि पहले कभी किसी जानवर को कॉपीराईट हक नहीं दिया गया तो इसका मतलब यह नहीं की कभी आगे भी दिया नहीं जा सकता। पेटा ने इस केस में कोई जुर्माने की मांग नहीं की है। उनका कहना है कि वे बस आगे मिलने वाले सभी लाभ को नारुटो और उसके समुदाय के हित में इस्तेमाल करना चाहते थे।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ और दायर की गई इस पेटा की याचिका को रद्द कर दिया गया है। लेकिन स्लेटर भविष्य में इस तस्वीर से होने वाली कमाई का 25 प्रतिशत दान करने के लिए तैयार हो गए। स्लेटर और पेटा की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि तस्वीर की बिक्री से होने वाली कमाई का एक चौथाई नारूटो और उसके रहने की जगह की रक्षा करने वाली चैरिटी संस्थानों को दान दिया जाएगा।
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पेटा के वकील जेफ कर्र ने कहा कि पेटा के इस मुकदमे के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशुओं के अधिकारों को लेकर चर्चा हुई थी। वहीं स्लेटर का कहना था कि उन्होंने भी काफी मेहनत की थी और ये तस्वीर पर उनके कॉपीराइट के दावे के लिए काफी थी। उन्होंने कहा कि वो स्वयं संरक्षणवादी हैं और तस्वीर में पैदा हुई रुचि की वजह से इंडोनेशिया के जानवरों को फायदा पहुंचा है।
इनस मुकदमे को नारूटो बनाम डेविड स्लेटर नाम दिया गया था। हालांकि बंदर की पहचान पर भी विवाद है। पेटा का कहना है कि तस्वीर में दिख रहा बंदर मादा है और इसका नाम नारूटो है जबकि स्लेटर का कहना है कि ये मैकॉक प्रजाति का ही नर बंदर है।
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