नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। जिस समय अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बिडेन 46 वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले रहे थे। उसी दौरान पाकिस्तान में शाहीन-3 नाम की एक मिसाइल का परीक्षण किया जा रहा है। बताया गया है कि इसका परीक्षण सफल रहा है और यह 2750 कि.मी. मार कर सकती है। पाकिस्तान ने कहा है कि यह उसने आत्म रक्षा के लिए विकसित की है। वह कहते हैं कि इस मिसाइल का केंद्र भारत है।
पाकिस्तान के अंदर से उठे विरोध के स्वर बता दें मिसाइल विवादों में जब घिर गई जब पाकिस्तान के ही अंदर से इसे लेकर विरोध के स्वर उठने लगे। मिसाइल का परीक्षण डेरा गाजी खान से किया गया था। यह इलाका पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। इस मिलाइल के परीक्षण के बाद बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी ने ट्वीट करके इस मिसाइल का विरोध किया था। उन्होने कहा था कि यह मिसाइल बलूचिस्तान की भूमि पर परीक्षण की गई और यह वापिस आकर बलूचिस्तान के रिहायशी इलाके में आकर गिरी। जिसके कई स्थानीय लोग घायल हो गए और दर्जनों मकान तबाह हो गए।
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पाकिस्तान को दी चेतावनी उन्होंने विरोध करते हुए पाकिस्तान को इसके लिए चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि बलूचिस्तान कोई प्रयोगशाला नहीं है। हम यहां ऐसा नहीं होने देंगे। इससे हमारे लोगों को नुकसान पहुंच रहा है। यह परीक्षण रिहायशी इलाके में हो रहे हैं। वह कहते हैं कि इस परीक्षण से कई लोग जख्मी हो गए थे। वह कहते हैं कि बलूचिस्तान हमारी मातृभूमि है कोई प्रयोगशाला नहीं है। वह कहते हैं कि हम पीड़ित सभी देशों से अपील करते हैं कि वह पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम के खिलाफ खड़े हों।
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अमेरिका पर दवाब बनाता चाहता है पाक कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने यह बहुत सोच समझकर किया है ताकि बाइडेन सरकार पर दवाब बनाया जा सके। वह कहते हैं कि पाकिस्तान ने राष्ट्रपति बाइडेन के शपथ ग्रहण से पहले यह वक्त इसलिए चुना ताकि सरकार अमेरिका के बता सके कि वह क्षेत्र में शांति चाहते हैं। वह कहते हैं कि वह चाहते हैं कि अमेरिका भारत सरकार पर दवाब बनाए ताकि भारत पाकिस्तान से बात करना शुरु करे।
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भारत से कैसे होंगे रिश्ते पाकिस्तान सरकार का कहना है कि वह पड़ोसियों से स्वस्थ संबंध बनाना चाहते हैं मगर भारत सरकार इसके खिलाफ महौल बना रही है। उनके आरोप हैं कि भारत उन्हें ऐसा करने से रोक रहा है। अब नई सरकार राष्ट्रपति जो बिडेन की है। बिडेन भारत के प्रति कैसा रवैया रखते हैं। यह देखने वाली बात होगी मगर उम्मीद लगाई जा सकती है कि अभी के महौल को देखते हुए अमेरिका भी भारत का गर्मजोशी के साथ सहयोग करना चाहता है।
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