नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दुनिया के कई देश चीन (China) के ऊपर जासूसी के आरोप लगा चुके हैं। यही आरोप ब्रिटेन ने भी लगाया और अब इसमें भारत का नाम भी शामिल हो गया है। ब्रिटेन की कॉन्सुलेट, यूनिवर्सिटीज और कुछ कंपनियों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के शामिल होने का दावा किया गया था और अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इसके लिंक भारत से भी जुड़े हैं।
दरअसल, चीनी सत्ताधारी पार्टी के लीक हुए डेटा बेस में से 19.5 लाख सदस्यों की जानकारी लीक हुई थी। जिसमे यह साफ़ हो गया है कि चीन दुनिया के सभी देशों में अपने जासूस फैलाने में लगा हुआ है।
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सात शाखाओं का भारत से संबंध इस मामले में द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) की सात शाखाओं का संबंध भारत से है। इस बारे में इंटरनैशनल कंसोरटियम ऑफ जर्नलिस्ट को भी आंकड़े मिले हैं। जिसके अनुसार, शंघाई में भारतीय दूतावास में भी सीपीसी का एक सदस्य जासूसी के लिए बाकायदा वहां काम कर रहा था।
यह डेटा पहली बार सामने आया है जिसके अनुसार चीन में कम्युनिस्ट पार्टी शाखाओं में बंटी हुई है। यह शाखाएं हर देश के बड़े कॉर्पोरेशन में काम करती है और इसकी रिपोर्ट चीनी राष्ट्रपति को भेजी जाती है।
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79000 तरह की शाखाएं रिपोर्ट के अनुसार, इस लीक डेटा से पता चला है कि चीनी की सीपीसी की लगभग 79000 अलग-अलग तरह की शाखाएं हैं जिनमें से 7 शाखाओं का भारत से सीधा कनेशन है। सीपीसी की 79 हजार शाखाओं में 19.5 लाख लोग सीपीसी के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं यह सदस्य बहुदेशीय कंपनियों में काम कर रहे हैं।
इन कंपनियों में बैंकिंग, डिफेंस, फार्मास्युटिकल और फाइनैंशनल सेक्टर की कंपनियां भी शामिल हैं। बता दें, इन कंपनियों में एएनजेड, HSBC, Pfizer, Astrazeneca, Volksvagen और बोइंग के नाम भी हैं।
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7 शाखाओं का भारत से संबंध चीन की हजारों शाखाओं में से 7 का संबंध भारत से है। इनमें तकरीबन 91 मेंबर काम कर रहे हैं। शंघाई में भारतीय राजदूत के साथ जो लोग काम कर रहे उनमें एक सीपीसी का सदस्य भी है। निजता के अधिकार की वजह से रिपोर्ट में उस सदस्य का नाम, लिंग और जन्मदिन नहीं बताया गया है। लेकिन यह जरूर पता लगा है कि भारतीय दूतावास में यह सदस्य तीन साल काम करता रहा है। बताया जा रहा है कि यह डेटाबेस टेलिग्राम पर लीक हुआ है। साथ ही चीन के एक बागी ने इंटरपार्लमेंटरी अलायंस ऑन चीन (IPAC) को दी है।
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