नई दिल्ली/अनिल सागर। दिल्ली में दिपावली की रात से बढ़े प्रदूषण से अगली सुबह हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई हालंाकि पांच साल में दिपावली की अगली सुबह का प्रदूषण स्तर सबसे बेहतर दर्ज हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों ने इसके लिए मौसमी हालात को बताया वहीं प्रतिबंध धुंए में उड़ते हुए दिखाई दिए। राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार सुबह 326 रहा जबकि एनसीआर के पड़ोसी जिलों के शहरों गाजियाबाद (285), नोएडा (320), ग्रेटर नोएडा (294), गुरुग्राम (315) और फरीदाबाद (310) में भी हवा की गुणवत्ता खराब से बहुत खराब श्रेणी में रही। मंगलवार सुबह अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता का मतलब ये नहीं है कि यह अच्छी हवा है। राजधानी के 35 निगरानी केंद्रों में से 30 में सुबह सात बजे पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से पांच से छह गुना अधिक रहा। पीएम 2.5 महीन कण होते हैं जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम के होते हैं और सांस नली से फेफड़ों तक पहुंच कर ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित कर सकते हैं। सीआरईए के एनालिस्ट सुनिल दहिया बताते हैं कि आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली के कई हिस्सों में लोगों ने पटाखे चलाए, लेकिन पिछले दो वर्षों की तुलना में इसकी तीव्रता कम दिखाई दी। इसके बावजूद दिल्ली में पीएम-2.5 का स्तर देर रात तक 2019 के स्तर पर पहुंच चुका था। सामान्य दिनों दिल्ली में पीएम-2.5 का स्तर 150 तक पहुंचता है लेकिन दिपावली में 540 से माइक्रोग्राम से ऊपर रहा। हां, अब पराली के दौरान यह फिर बढ़ेगा। क्योंकि आने वाले दिनों में पराली के मामलों में वृद्धि होना तय है। वैज्ञानिक गुफरान बेग बताते हैं कि पंजाब और हरियाणा में सोमवार को खेतों में पराली जलाई गई, लेकिन हवा की गति के कारण धुंआ छंट गया। इसलिए, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान (लगभग 10 प्रतिशत) भी बहुत ज्यादा नहीं नजर आया। हर साल दिवाली पर दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषकों में पटाखों और पराली जलाने का योगदान रहा है। लेकिन इस साल यह पहले के मुकाबले कुछ कम रहा। मोटे तौर पर स्थिर वायु गुणवत्ता की स्थिति के पीछे एक अन्य महत्वपूर्ण कारक मध्यम हवा की गति और गर्म स्थितियां थीं जिससे प्रदूषक तत्व नहीं जमे और हवा गंभीर जोन में जाने से बच गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक मंगलवार को औसत 24 घंटे की गुणवत्ता 303 रहा जबकि सोमवार को यह 312 दर्ज किया गया था और इसे भी बीते सात साल में दिपावली के दिन के लिए दूसरा सबसे अच्छा एक्यूआई बताया गया। इससे पहले दिल्ली में 2018 में दिपावली पर 281 का एक्यूआई दर्ज किया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2017 में 319 और 2016 में 431 एक्यूआई दर्ज किया गया था। रविवार शाम को दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई 259 दर्ज किया गया था, जो दिवाली की पूर्व संध्या पर सात वर्षों में सबसे कम था। सुनिल दहिया बताते हैं कि दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की हिस्सेदारी बढ़ी है जो पटाखों और पराली जलाने से प्रदूषक कणों में वृद्धि के कारण हैं। पराली जलाने से मंगलवार को पीएम 2.5 में 15 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि के अनुमान हैं। बता दें कि सोमवार को जहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पंजाब में 1,019, हरियाणा में 250 और उत्तर प्रदेश में 215 पराली जलाने के मामलों की सूचना दी।
दिपावली की अगली सुबह, 24 अक्तूबर-2022 326 4 नवम्बर - 2021 - 462 14 नवम्बर-2020 -435 27 अक्तूबर- 2019 -367 7 नवम्बर-2018 - 390 17 अक्तूबर-2017-302
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