Thursday, Sep 21, 2023
-->
amitabh bachchan''''s temple is built in this city

इस शहर में बना है अमिताभ बच्चन का मंदिर, जानें ‘बच्चन धाम’ से जुड़ी रोचक बातें

  • Updated on 2/7/2023

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। फिल्मी दुनिया के महानायक अमिताभ बच्चन को कौन नहीं जानता है। हर कोई बिग बी का फैन है। अमिताभ बच्चन ने अपने जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया है। लोग उन्हें इतना ज्यादा प्यार करते हैं कि, उन्हें अपना भगवान तक मानते हैं। बिग बी के चाहने वालों ने तो उनका एक मंदिर तक बनवा दिया है। 

कोलकाता में बना है अमिताभ बच्चन का मंदिर
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का एक ऐसा फैन है जो उन्हें भगवान मानता है। यह शख्स अपने आपको बिग बी का भक्त कहता है। इस शख्स ने बिग बी का मंदिर तक बनवा दिया है। जिसे बच्चन धान के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर कोलकता के आनंद नगरी में स्थित है।आपको जानके हैरानी होगी कि इस मंदिर में ठीक उसी तरह पूजा-अर्चना की जाती है , जिस तरह भगवान की पूजा होती है। यह मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। जहां बिग बी के फैन्स का तातां लगा रहता है। 

‘बच्चन धाम’ की खासियत है कि, यहां आरती के समय 79-पंक्ति वाली चालीसा का पाठ किया जाता है। मंदिर की दीवारों पर 'जय श्री अमिताभ बच्चन' जैसे शब्द लिखे गए हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के प्रवेश द्वार के टॉप पर बड़े बैनर पर 'जय अमिताभ बच्चन' भी लिखा गया है।  हर मंदिर की तरह ‘बच्चन धाम’ में प्रवेश करने के लिए भी आपको जूते उतारने पड़ते हैं। बिग बी की आइकॉनिक फिल्मों में पहने गए जूतों को भी मंदिर में रखा गया हैं। 

शख्स ने बताई मंदिर बनाने की वजह
बता दें कि, अमिताभ बच्चन के इस फैन का नाम संजय पटोदिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि- 'बच्चन धाम में मौजूद बिग बी की मुर्तियां सबसे खास हैं। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा था कि, लंदन, मुंबई और कोलकाता के म्यूजियम में मौजूद उनके वैक्स में बिग बी ने जो कपड़े पहने हैं, उसे वह असल जिंदगी में नहीं पहनते हैं। हालांकि, बच्चन धाम में मौजूद मूर्तियों में बिग बी वही कपड़े पहने हैं, जो वह असल जिंदगी में पहनते हैं।' 

संजय ने मंदिर बनाने की वजह भी बताई है। उन्होंने कहा था कि वह अमिताभ से उसी तरह प्यार करते हैं, जैसे मीरा कृष्ण से करती थीं। उन्होंने कहा था कि, वह भगवान शिव और विष्णु की तरह अमिताभ बच्चन को मानते हैं। इसीलिए उन्होंने ये मंदिर बनवाया था। 

comments

.
.
.
.
.