नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कहा जाता है कि किसी भी इंसान की पर्सनेलिटी उसके जूते से पता चलती है। ऐसे में अगर कोई जूते चप्पल ही ना पहने तो कैसा होगा। आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां लोग जूते-चप्पल ही नहीं पहनते है और अपने बनाए ही नियम फॉलो करते हैं।
हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के गांव वेमना इंदलू की। ये गांव तिरुपति से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसकी कुल आबादी केवल 25 परिवार की है। यानी केवल 80 लोग ही इस गांव में रहते हैं। ये गांव छोटा जरूर है लेकिन यहां के नियम कानूनी काफी अनोखे हैं। यहां के लोग केवल अपने अफसर से ज्यादा अपने देवता तिरुपति भगवान वेंकटेश्वर और सरपंच की बात मानते हैं। दरअसल, गांव में ज्यादातर परिवार अशिक्षित है और पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं।
यहां के नियम की बात करें तो, यहां कोई भी शख्स अस्पताल नहीं जाता। उनका मानना है कि ईश्वर जिनकी वे पूजा करते हैं। वह सब संभाल लेंगे। वह मंदिर की परिक्रमा करते हैं। लेकिन अस्पताल नहीं जाते। वहीं, यहां के लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते। यहां तक कि अगर कोई बाहर से यहां आता है तो उसे भी इनके नियम का पालन करना होता है। एक और परंपरा है कि गांव में अगर कोई बाहर से आए, तो बिना नहाए-धोए प्रवेश नहीं करेगा। महिलाओं को पीरियड्स के दौरान गांव के बाहर रखा जाता है, और वहीं उनको सारी चीजें मुहैया कराई जाती हैं। ये रीत सुनने में तो काफी पुरानी और अजीब है लेकिन यहां के लोग इसे अभी भी फॉलो करते हैं।
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