
इश्क की कोई भाषा नहीं होती है, इसे मजहब या वक्त की बेडिय़ों से नहीं बांधा जा सकता है। प्यार की कहानियों के किरदार आज भी जीवित हैं। हीर-रांझा, लैला-मजनू मुहब्बत की अमर इबारत लिखकर गए हैं, जिनकी इश्क के अफसाने लोगों में बेइंतहा ....

मोहब्बत -ये वो खूबसूरत इत्तेफाक है जिससे शायद ही कोई इंसान अछूता रहा हो। जीवन के रंगमंच पर बहुत कम ही ऐसे कलाकार हैं, जो अपने प्यार का इजहार कर पाते हैं। लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी हैं जिन्होंने बिना इजहार-ए-मोहब्बत को अंजाम दिए अपनी प्रेम कहानी को लोगों के दिल तक पहुंचाकर मिलास कायम की...

साहिर लुधियानवी यानी की लेखन के ''जादूगर'' का असली नाम अब्दुल हयी साहिर था। जिंदगी के उतार चढ़ाव और प्यार भरे लम्हों को अपनी शायरी और गानों में उतारने वाले साहिर 25 अक्टूबर, 1980 को दुनिया से अलविदा कह गए थे। साहिर बहुत ही रईस खानदान से ताल्लुक रखते थे...

वह ख़ुद में ही एक बहुत बड़ी लीजेंड हैं और बंटवारे के बाद आधी सदी की नुमाइन्दा शायरा और इमरोज़ जो पहले इन्द्रजीत के नाम से जाने जाते थे, उनका और अमृता का रिश्ता नज्म और इमेज का रिश्ता था। अमृता की नज्में पेंटिंग्स की तरह खुशनुमा हैं फ़िर चाहे वह दर्द में लिखी हों या खुशी और प्रेम में...

अपनी शर्तों पर जीना आज के जमाने में कई लड़कियों के लिए महज सपना ही है लेकिन 20 वीं सदी में एक ऐसी साहसी साहित्यकार थी जिन्होंने उस जमाने में भी अपनी शर्तों पर जिंदगी गुजारी। हम बात कर रहे हैं अमृता प्रीतम की, उन्होंने अपनी कविता संग्रह, कहानी, आत्मकथा और निबंध मिलाकर 100 से ज्यादा किताबें लिखी हैं।

भारत की सबसे लोकप्रिय कवयित्रियों में से एक गिनी जाने वाली अमृता प्रीतम जितनी खूबसूरती और प्यार से अपनी कविताओं में शब्दों को पिरोया करती थीं वैसे ही उनकी जिंदगी में कई शख्स ऐसे भी आए जिन्होंने प्यार को बेहद ही अनोखे और बेहतरीन तरीके से उनके दिल और दिमाग में खूबसूरती के साथ उतारा था। उन्हीं में से ए

मशहूर साहित्यकार अमृता सिंह का कल यानि 31 अगस्त को जन्मदिन है। पंजाब के गुंजरावाला जिले में जन्मी अमृता का अधिकांश बचपन लाहौर में बीता और वहीं उन्होंने पढ़ाई भी की। अमृता को बचपन से ही लिखने का शोक था। उन्होंने कच्ची उम्र से ही इबारत लिखनी शुरू कर दी थी। वो खुद कहती हैं कि मेरा सोलहवां साल आज भी मे

रसीदी टिकट से अमर हो जाने वाली अमृता आजाद ख्याल लड़कियों के लिए रोल मॉडल थीं। हालांकि आजादी का मतलब उनके लिए भावनात्मक आजादी और फिर सामाजिक आजादी थी। अमृता की कवितायें भावना, प्रेम और संवेदनाओं से भरी होती थीं।अमृता उस जमाने में लिव-इन में रहीं, जब ऐसा सोचना भी किसी क्रांति से कम न था। अमृता की

मशहूर लेखिका अमृता प्रीतम के उपन्यास पिंजर पर पाकिस्तान के एक्टर अदनान सिद्धिकी एक टीवी सीरियल लेकर आ रहे हैं। इस सीरियल का टाइटल ''घुघी'' रखा गया है।

हिंदी और पंजाबी साहित्य की ऐसी ही एक बेहद रूमानी सख्शियत से आपको रूबरू करवाती हूँ। वो जितनी खूबसूरत थी उससे भी ज्यादा खूबसूरत थे उनके एहसास और उनके शब्द।

हॉलीवुड से थोड़ी फुर्सत पाकर अब प्रियंका चोपड़ा बतौर फिल्म निर्माता क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में बना रही हैं,

लिव -इन स्वीकार्य नहीं है, लेकिन उस ज़माने में अमृता लिव-इन में रहीं, लेकिन उस रिश्तें में भी सम्मान और समर्पण था।