
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के समाधान के तहत राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एनएआरसीएल) द्वारा जारी सिक्योरिटी रिसीट्स पर सरकारी गारंटी देने के प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने

बैंक कर्मचारियों के नौ संगठनों का शीर्ष निकाय यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) ने सार्वजिक क्षेत्र के दो बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यन ने निजी क्षेत्र की अगुवाई में बैड बैंक की स्थापना की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि प्रभावी तरीके से गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए बैड बैंक जरूरी है। माना जा रहा है कि कोविड-19 की

बैंकों (Bank) के बीच अपने कारोबार को तेजी से बढ़ाने की होड़-सी मची है। ऐसे में बैंक बिना अपनी क्षमता का आकलन किए पूरे देश में शाखा खोल देते हैं, जो कि आर्थिक तौर पर बैंकों के लिए नुक्सानदायक साबित हो रहा है जिससे मौजूदा बैंकिंग हालात को लेकर देश में बैंक शब्द के नाम पर संदेह पैदा...

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक देश के कई पब्लिक सेक्टर बैंक विदेशों में मौजूद अपनी 216 ब्रांचों में से लगभग 70 ब्रांचों को इस वर्ष के अंत तक बंद कर देंगे। यह कदम सरकारी बैंक कॉस्ट कटिंग करने के साथ - साथ पैसा बचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान सरकारी बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपए के फंसे लोन बट्टे खाते में डाले हैं। सरकार ने इस बात की जानकारी दी है। बट्टे खाते में डाले गए कर्ज में से अकेले एस.बी.आई. का हिस्सा 20,339 करोड़ रुपए का है। चालू वित्त वर्ष 2017-18 में सितम्बर 2017 तक सरकारी बैंकों ने 28,781 करोड़ रुप

वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी डेटा में कहा गया है कि सितंबर, 2017 को खत्म हुई तिमाही में सरकारी बैंकों का एनपीए 7.34 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया, जबकि निजी बैंकों का एनपीए काफी कम है। वहीं सरकारी बैंकों का बढ़े एनपीए के लिए कॉरपोरेट डिफॉल्टर्स को जिम्मेदार कहा जा रहा है।

बैंकों को 50 कम्पनियों के बैड लोन पर करीब 2,400 अरब रुपए या 60 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बैंकों के डूबते कर्ज यानी एन.पी.ए. की समस्या से निपटने के लिए सरकार जल्द ही स्ट्रैस्ड एसेट रिस्ट्रक्चर कंपनी बना सकती है