
बगैर डिग्री और प्रमाण पत्र के मरीजों का इलाज करने पर 3 फर्जी चिकित्सक फंस गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तीनों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है। आरोप है कि गैरकानूनी तरीके से क्लीनिक खोलकर चिकित्सीय कार्य किया जा रहा था। कुछ माह पहले नोटिस जारी होने के बावजूद तीनों ने वैध डिग्री एवं प्रमा

कोरोना को लेकर जनपद गाजियाबाद वासियों के लिए राहत भरी खबर है कि करीब चार माह बाद एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिला है। जबकि, बीते 24 घ्ंाटे में कोविड के 2206 सैंपल की टेस्टिंग की गई। इसमें स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी भी मरीज की पुष्टि नहीं की गई। इसके अलावा शनिवार को होम आइसोलेशन में उपचार ले रहे 3 म

जिले में झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर स्वास्थ्य विभाग का गंभीर ना होना लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। जहां 8 साल के एक मासूम को झोलाछाप डॉक्टर के उपचार से जान गवानी पडी। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डॉक्टर को लेकर हरकत में तब आया जब बच्चे के परिजनों ने तहसील दिवस में मामले से संबंधित शिकायत की

जिला स्वास्थ्य विभाग को आखिरकार मांग के बावजूद शासन स्तर से वीटीएम (वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम) वायल उपलब्ध नहीं कराई गई। अब सोमवार यानी आज से सरकारी स्तर पर निशुल्क होने वाली कोविड की आरटी-पीसीआर जांच नहीं हो सकेगी। ऐसे में लोगों को अब निजी लैब में जाकर जेब ढीली कर जांच करानी होगी। स्वास्थ्य विभाग के

प्रताप विहार स्थित एक निजी अस्पताल में अवैध रूप से संचालित हो रही अल्ट्रासाउंड मशीन को प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सील किया। अल्ट्रासाउंड मशीन रेडियोलॉलिस्ट की मौत होने के एक साल बाद भी संचालित की जा रही थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई नया रेडियोलॉजिस्ट भी नियुक्त नहीं किया गया था। अस्पताल प्