उच्चतम न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून संबंधी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को मंगलवार को कम से कम पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्र
भारत ने शुक्रवार को ब्रिटेन से कहा कि आर्थिक मामलों में भगोड़ों को वापस लाना और उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा करना सरकार की ‘उच्च प्राथमिकता’ है। वहीं, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संकेत दिया कि वह इन चिंताओं को लेकर संवेदनशील हैं। जॉनसन ने कहा कि ब्रिटेन ऐसे लोगों का स्वागत नहीं करता है जो
दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर (सीएलसी) ने छात्रों के ‘‘असहनीय व्यवहार’’ का हवाला देते हुए शनिवार को अपनी संगोष्ठी रद्द कर दी। इससे एक दिन पहले छात्रों का प्रशासन के साथ टकराव हुआ था। ‘भारतीय संविधान को चुनौतियां’ विषय पर संगोष्ठी शनिवार को सीएलसी में होनी थी, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत
नर्मदा नदी में बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए गुजरात सरकार का राहत...
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