
वो लोग हमारा इतिहास बता रहें है जिनका जन्म ही कुछ वर्ष पूर्व हुआ है । आर्य भारतीय हैं इसका प्रतिपादन करते हुए उन्होने कहा कि यूरोप का व्यक्ति सघोष महाप्राण ध्वनियां नहीं बोल सकता, इन ध्वनियों को केवल भारतीय जनमानस ही बोल सकता है । भारत व्यक्ति की नहीं व्यक्तित्व की पूजा करता है । जो दृश्यमान है वह

दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी (सान्ध्य) कॉलेज की संस्कृत परिषद् ने संस्कृत भारती के सहयोग से 4 फरवरी से निरन्तर चल रहे संस्कृत सम्भाषणशिविर के समापन समारोह का आयोजन किया। इसमें मुख्यातिथि शिक्षाविद् डॉ.चांदकिरण सलूजा, अध्यक्ष प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार गुप्ता, आजादी का अमृत महोत्सव की अधिकार

आरएसएस समर्थित संगठन संस्कृत भारती के तीन दिवसीय सम्मेलन की समाप्ति पर संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि संस्कृत को जनभाषा बनाने से लेकर राष्ट्रभाषा बनाने का काम किया जाएगा।
संगठन के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कहा कि संस्कृतभाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में प्रमुख भाषा है। उन्होंने कहा कि ह

संस्कृत भारती दिल्ली प्रांत के सम्मेलन में केंद्रीय संस्कृति एवं विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि संस्कृतभाषा में वर्णित विधिशास्त्र न केवल भारतीय अपितु वैश्विक न्यायिक व्यवस्था के उन्नयन का आधार हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार संस्कृत भाषा भारत के सुनहरे भविष्य का आधार फिर से बन सकत

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मंगलवार को मैत्रेयी कॉलेज में ‘संस्कृत का वैश्विक परिदृश्य’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय के सचिव डा. अतुल कोठारी मौजूद रहे। उन्होंने संस्कृत के वृहत स्तर पर प्रयोग को

दिल्ली संस्कृत अकादमी श्रेष्ठ नाटकों पर एनिमेटेड फिल्म बनाने जा रहा है। जिसे पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। इससे आज की पीढ़ी के जो बच्चे संस्कृत सीखना चाहते हैं उनमें संस्कृत को लेकर उत्सुकता बढ़ेगी। इन एनिमेटेड फिल्मों में पात्र संस्कृत में बात करेंगे लेकिन हिंदी अंग्रेजी में नीचे सब टाइटल की व्यवस्था

देश के प्रधान न्यायाधीश शरद चंद बोबडे ने बुधवार को कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संस्कृत को ‘‘आधिकारिक भाषा’’ बनाने का प्रस्ताव दिया था क्योंकि वह राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को अच्छी तरह समझते थे और यह भी जानते थे कि लोग क्या चाह

संस्कृत (Uttarakhand) को आम बोलचाल की भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में ‘संस्कृत ग्राम’ (Sanskrit village) बनाने का निर्णय लिया है। संस्कृत अकादमी उत्तराखंड की मंगलवार को यहां हुई बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि भाषाओं की जननी संस्कृत को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है,