
हाइपोथर्पियां के खतरे से खुद को बचाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। हाइपोथर्मिया के समय हाथ पैर जरुरत से ज्यादा ठंडे और पेट में दर्द रहता है। ये कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। इस समय शरीर का तापमान सामान्य से कम यानी 37 डिग्री से कम हो जाता है। तापमान कम होने से सुस्ती र नींद के साथ-सा

सर्दियां आ रही हैं और इसी के साथ इस मौसम में हाथ-पैरों में सूजन की शिकायत होने लगती है। सर्दियों में जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है ये समस्या आम हो जाती हैं। ठंड की वजह से हाथ-पैरों में सूजन होने की समस्या को चिलब्लेन कहते हैं। ये ज्यादा बच्चों और बुजर्गों में देखी जाती है लेकिन कई बार हर उम्र के लोग इसके श

हमारी बॉडी बिल्कुल मशीन की तरह काम करती है। सब कुछ अपने हिसाब से कर लेती है। खाने की जरूरत होती है, तो भूख लग जाती है।

सर्दियां शुरू हो गई हैं और इस मौसम में गले में खराश होना या गला खराब होना आम है। लेकिन इससे काफी दिक्कतें भी होने लगी हैं।

सर्दियां शुरु हो गई है और इस बदलते मौसम के साथ ही शरु होती है खांसी जुकाम जैसी दिक्कतें।

मौसम में बदलाव आते ही लोगों में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की शिकायत भी बढ़ जाती है। फास्ट फूड इसका एक कारण हो सकता है।