
देश में समान योग्यता रखने के बावजूद महिलाओं की बेरोजगारी दर पुरुषों के मुकाबले दोगुनी है। यह खुलासा एक अध्ययन में हुआ है। ‘जेंडर इंक्लूजन इन हायरिंग इंडिया’ (भारत में नियुक्ति में लैंगिक समावेश) शीर्षक से यह अध्ययन हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दो छात्रों रशल लेवनसन और लायला ओ केन ने किया है। इसके मुताब

अक्सर वर्किंग वुमन्स काम के चलते अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पातीं। ऑफिस के साथ-साथ घर संभालने में वह इतना व्यस्त हो जाती हैं कि अपना ध्यान रखना भूल जाती हैं और अपनी हेल्थ और फिटनेस खराब कर बैठती हैं।

एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में कामकाजी महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा वित्तीय सुरक्षा से वंचित है। जहां कामकाजी पुरुषों में 83 प्रतिशत के पास जीवन बीमा है वहीं कामकाजी महिलाओं में यह प्रतिशत महज 70 प्रतिशत है...

उद्योग क्षेत्र की बदलती जरूरतों को देखते हुए देश में कौशल विकास को लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं। महिलाओं के कौशल विकास पर सरकार विशेष ध्यान है। लेकिन एक सर्वेक्षण के अनुसार कार्यबल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2018 में बेहद कम...

इस नए जमाने की महिलाएं घर की दहलीजों से बाहर निकलकर अपना खुद का मकाम बना रही हैं। ऐसे में उनसे घर से लेकर ऑफिस और फिर खुद को फिट रखने के लिए जिम में जमकर पसीना बहाती हैं। ऐसे में उनसे लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ती जाती हैं। उन सभी को पूरा करने के भागदौड़ में अक्सर कुछ छोटी-छोटी बातों को भूल जाती हैं।

कार्यस्थल पर महिलाओं के शोषण से संबंधित कानून की धारा-11 में यह स्पष्ट कहा गया है कि जब दोनों पक्ष एक ही संगठन में कार्य करते हों तो उन्हें सुनवाई का पूरा अधिकार मिलना चाहिए।

मदर्स डे से पहले माँ और बच्चे से जुड़ा एक सर्वे सामने आया। जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि देश में शहरी क्षेत्र की 35% कामकाजी महिलाएं दूसरा बच्चा...