जरूरत से ज्यादा फोन स्क्रॉलिंग से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। जिससे हमारी लाइफस्टाइल में भी कई चेंजेस आ जाते हैं।

रील स्क्रॉल करते समय हम जब एक के बाद एक लगातार पोस्ट देखने लगते हैं तो उससे हमारे ब्रेन में हैप्पी हार्मोन-डोपामाइन रिलीज होता है। इसलिए, हर नई रील या नॉटिफिकेशन देखकर हम फोन में ही खो जाते हैं।

बहुत ज्यादा स्क्रॉलिंग से हमारी फोकसिंग पॉवर पर गहरा असर पड़ता है। जरूरत से ज्यादा फोन का इस्तेमाल करने से हमारे ब्रेन की क्रिएटिविटी कम होने लगती है, साथ ही, सोचने और समझने में भी नॉर्मल से ज्यादा समय लगने लगता है।

रात में सोने से पहले स्क्रीन देखने से नींद उड़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मोबाइल की ब्लू लाइट स्लीप हार्मोन-मेलाटोनिन को दबा देती है।

फोन की लत बहुत-सी मानसिक बिमारियों को घर कर सकती हैं। जिससे डिप्रेशन (Depression) और एंग्जायटी (Anxiety) होने की संभावना बढ़ जाती है।