कभी-कभी लोग भीड़ में होते हुए भी खुद को अकेला महसूस करते हैं। ये सिर्फ शर्म नहीं, बल्कि लंबे समय से मन में बैठा डर हो सकता है, जिसे सोशल एंजायटी कहते हैं।

जब किसी को लोगों के सामने बोलने, मिलने या नजरें मिलाने से डर लगे, तो समझिए वो सोशल एंजायटी का शिकार है।

कई बार ये डर बचपन के अनुभवों से आता है जिससे धीरे-धीरे इंसान को लगने लगता है कि उसकी हर बात पर लोग हंसेंगे, उसे जज करेंगे या नकार देंगे।

सोशल एंजायटी की वजह से इंसान जरूरत से ज्यादा सोचने लगता है। उसकी दिल की धड़कन तेज हो जाती है, आवाज कांपती है और वो खुद पर भरोसा खोने लगता है।

सोशल एंजायटी लोगों की सोशल मीडिया लाइफ में भी दिखती है। कई बार इसका शिकार हुए लोग बार-बार पोस्ट लिखते हैं, या डिलीट कर देते हैं। कई बार "लोग क्या कमेंट करेंगे" ये सोचकर कोई पोस्ट करने से भी कतराते हैं।

धीरे-धीरे ये डर और बढ़ने लगता है, जिसका सीधा असर पढ़ाई, करियर, रिश्तों या अन्य जगहों पर पड़ता है। कई बार इंसान खुद से भी कटने लगता है।