तो द्रौपदी औऱ कृष्ण के पवित्र बधंन कि शुरुआत ऐसी हुई थी। एक दिन कृष्ण भगवान की उंगली कट गई थी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध और तभी कृष्ण भगवान जी ने उनकी रक्षा करने का वचन दिया था।

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राजा बलि और लक्ष्मी ने भी कुछ इस तरीके से अपने बधंन को एक पवित्र बधंन में बांधा था, एक दिन विष्णु भगवान जी को राजा बलि ने उनको पाताल लोक का राजा बना दिया था, परंतु लक्ष्मीजी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपना भाई बनाया और विष्णुजी को वापस ले आईं।

इंद्र और इंद्राणी ने भी कुछ इस तरीके से अपने बधंन को एक पवित्र बधंन में बांधा था, एक दिन इंद्र देवराज और दानवों के बीच युद्ध होने जा रहा जा तभी इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था, जिससे उन्हें युद्ध में विजय मिली।

रक्षाबधंन का क्या महत्व है आखिर क्यों है ये एक भाई – बहन के लिए जरुरी ? तो जानिए :- भाई-बहन के प्रेम, कर्तव्य और सुरक्षा के बंधन का ये त्योहार है। ये एक ऐसा त्योहार.. जहाँ धागे से बांधा जाता है प्यार का एक अटूट बधंन, जो सुरक्षा और विश्वास के बल पर चलता है।

4. “राखी” का मतलब क्या होता है? राखी न ही केवल एक धागा है, ये एक ऐसी भावना जो रिश्तों को और भी मजबूत बनाता है। राखी एक बहन-भाई के रिश्ते को एक पवित्र बधंन में जोड कर रखता है। यह एक ऐसा बंधन है जिसमें बहन का आशीर्वाद और भाई का साथ छिपा होता है।